कुछ-कुछ कहने के बीच वो सब कुछ कहने का कोई अर्थ ही न रह जाए। कुछ-कुछ कहने के बीच वो सब कुछ कहने का कोई अर्थ ही न रह जाए।
जनता की लेकिन समस्या विकट है। जनता की लेकिन समस्या विकट है।
समाज के पड़े धब्बों को, छिपाना है ऐसा उसे बताया जाता है, समाज के पड़े धब्बों को, छिपाना है ऐसा उसे बताया जाता है,
सिंह समान जीना सिखलाएं मातृभूमि पर मिटना बतलाएं। सिंह समान जीना सिखलाएं मातृभूमि पर मिटना बतलाएं।
हिंदी है हिंदूत्व का प्राण हमारी भाषा, हमारी जान हिंदी है हिन्दुस्तान की पहचान। हिंदी है हिंदूत्व का प्राण हमारी भाषा, हमारी जान हिंदी है हिन्दुस्तान की प...
फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर। फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर।